यह फिल्म उस वर्ष की एक बहुत बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी.
फिल्म के मुख्य कलाकार - संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, अनुपम खेर, राखी, प्रमोद माउथो , रमैया कृष्णा, वगैरह.
फिल्म खलनायक के निर्देशक - सुभाष घई.
फिल्म में संगीत निर्देशन दिया था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने. यह फिल्म अपनी गीतों के कारण काफी प्रसिद्धि पाई थी.
फिल्म की कहानी शुरू होती है स्वामी के वेश में कुख्यात डॉन महंत रोशिदा (प्रमोद माओथू) के द्वारा किसी नेता की हत्या के लिए सुपारी लेने से. वो इस हत्या के लिए बलराम उर्फ़ बल्लू (संजय दत्त) को सेट करता है. बल्लू अपने योजना के मुताबिक़ नेता की गोली मार कर हत्या कर देता है लेकिन वहां से फरार होने के ठीक पहले बल्लू की बाइक स्टार्ट नहीं होती है और वह वारदात के जगह से ही गिरफ्तार हो जाता है.
रोशिदा बल्लू के गिरफ्तार होने से काफी नाराज होता है और उसे फ़िक्र होती है किएक तो बल्लू जैसा माहिर अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़ गया और बल्लू इस हत्याकांड का सारा राज कहीं पुलिस के सामने ना उगल दे.
उधर बल्लू से हत्याकांड का सच उगलवाने के लिए सीबीआई इन्स्पेक्टर राम सिन्हा (जैकी श्रॉफ) को प्रतिनियुक्त किया जाता है. राम सिन्हा बल्लू को ह्त्या के बारे में सच उगलवाने के लिए काफी दवाब बनाता है लेकिन बल्लू कोई भी राज नहीं उगलता है.
पुलिस टॉर्चर से बचने के लिए बल्लू कहता है कि कुछ दिन बाद वो जेल से फरार हो जायेगा. उसकी इस धमकी से जेलर ईश्वर गिरिधर पाण्डेय (अनुपम खेर) काफी भयभीत हो जाता है, और वो बल्लू से सारी पूछताछ रोक कर जेल की सुरक्षा को पुख्ता करने का इंतजाम करने लगता है. हालांकि राम सिन्हा बल्लू की इस धमकी को बल्लू की चालाकी समझता है लेकिन जेलर कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं होता है.
जिस दिन बल्लू के भागने का दिन मुकर्रर होता है उस दिन जेल के चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात होती है. बल्लू नहीं भागता है. जब जेलर उसे कहता है कि उसने बल्लू को जेल से भागने में नाकाम कर दिया तो बल्लू बताता है कि ये तो उसकी एक चाल थी, ताकि उससे पूछताछ बंद हो सके.
ये देख जेलर काफी शर्मिंदगी महसूस करता है.
इन्स्पेक्टर राम को उसकी मंगेतर गंगा (माधुरी दीक्षित) का फोन आता है और वो उसे मिलने के लिए बुलाती है. गंगा भी पुलिस में महिला सिपाही की नौकरी करती है. हालांकि राम कहता है कि वो काम में उलझा हुआ है, लेकिन गंगा राम को मिलने के लिए आने की जिद करती है. गंगा की जिद के कारण राम गंगा से मिलने चला जाता है. राम और गंगा आपस में प्रेमालाप ही कर रहे थे तभी राम को खबर मिलती है कि बल्लू जेल से फरार हो गया.
बल्लू के जेल सेफरार होने पर इन्स्पेक्टर राम की बड़ी किरकिरी होती है , क्यों कि बल्लू की सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी इन्स्पेक्टर राम पर ही थी. अब लोग तरह तरह की बात पूछने लगते हैं कि बल्लू जब फरार हुया तो राम गंगा की बाहों में क्यों था? ये सब सुन कर राम अपना आपा खो बैठता है और रिपोर्टर पर हाथउठा देता है. जिससे राम की और भी अधिक बदनामी होती है. ये सब घटना गंगा को बुरी लगती है और वो मानती है कि इस सब की जिम्मेदार वो खुद भी है. और वो बल्लू का पीछा करने का फैसला करती है.
इधर बल्लू जेल से फरार होने के बाद अपने साथियों से मिलता है और कुछ दिन के लिए भूमिगत होने के लिए कहीं दूर जाने का फैसला करता है.
तभी एक जगह उसे पता चलता है कि पास ही में कोई बहुत बड़ी डांसर आई हुई है. बल्लू खुद को रोक नहीं पाता हैऔर उस डांसर का नृत्य देखने वहां चला जाता है. वो डांसर कोई और नहीं बल्कि गंगा ही है जो बल्लू को पकड़ने के लिए डांसर का वेष धारण की हुई है. नृत्य के दौरान गंगा बल्लू को अपनी तरफ रिझाती है. बल्लू उसकी चाल में फंस जाता है. लेकिन वो गंगा की पुलिस होने की असलियत जान जाता है लेकिन गंगा पर जाहिर नहीं होने देता कि वो गंगा की असलियत जान चुका है.
वो गंगा को अपने साथ ले कर फरार हो जाता है. इधर गंगा के अपहरण होने से राम काफी परेशान हो जाता है. वो किसी भी तरह बल्लू को गिरफ्तार करने के लिए बल्लू की फाइल देख रहा होता है, तभी उसकी फाइल में बल्लू की माँ आरती प्रसाद (राखी गुलजार) की तस्वीर देख कर चौंक जाता है, और वो माँ आरती को बुलवाता है. जब आरती उसके पास आती है तो राम उसे बताता है कि मैं वही राम हूँ जिसे आपने ही स्कुल में पढ़ाया था.
जबआरती राम को पहचान जाती है तो वो काफी भावुक हो जाती है और राम से कहती है कि भले ही बल्लू को गिरफ्तार कर लेना लेकिन उसे मारना नहीं.
फिर आरती राम को बताती है कि बचपन में ही बल्लू बिगड़ता जा रहा था, लेकिन माँ की ममता ने उसे कभी समझाया नहीं और दुसरे की डांट से बचाती रही. बल्लू के पिता इमानदार अफसर थे, और महंत रोशिदा ने बल्लू को उसके बचपन में ही धन का लालच देकर अपने पक्ष में मिला लिया था. बल्लू की बहन ने जब इसका प्रतिरोध किया तो रोशिदा ने बल्लू की बहन का क़त्ल करवा दिया और इसका इल्जाम अपने दुशमन पर लगा दिया. प्रतिशोध की आग में बल्लू अंधा हो कर बल्लू महंत के दुश्मन की हत्या कर देता है और वो अपराध की दुनिया में पूरी तरह डूब जाता है. अब बल्लू महंत रोशिदा का हर नाजायज काम में मदद करने लगता है. राम आरती को भरोसा दिलाता है कि वो बल्लू को हर संभव कानून की सहायता दिलाएगा.
इधर बल्लू गंगा के साथ भागते भागते एक गाँव में पहुंचता है, जहां बल्लू को पुलिस की ड्रेस में देख कर लोग उसे पुलिसवाला समझने लगते हैं, और एक लोकल गुंडे के अत्याचार से बचाने की गुहार लगाते हैं. पहले तो बल्लू इन सब से बच कर निकलना चाहता है, लेकिन जब गुंडे गंगा पर हाथ उठा देते हैं तो बल्लू अपना आपा खो देता है और गुंडों की धुनाई कर देता है. तब गंगा को अहसास होता है कि बल्लू अन्दर से बुरा इंसान नहीं है, बल्कि उसमे भी कहीं ना कहीं एक अच्छा इंसान है.
एक रात जब बल्लू और उसके साथी सभी एक खंडहर में छिपे थे तब बल्लू गंगा के पास जा कर अपने प्रेम का इजहार करता है, लेकिन गंगा टालने की कोशिश करती है. तब बल्लू बताता है कि वो जानता है कि गंगा एक पुलिसवाली है. अगर गंगा बल्लू के साथ प्रेम नहीं करेगी तो वो गंगा को जान से मार डालेगा.
लेकिन गंगा किसी तरह बात को संभालती है. फिर वो कहती है कि पहले वो शरीफ इंसान की तरह बन कर दिखाए तो वो उस से प्रेम करने लगेगी. गंगा की इस बात से बल्लू प्रभावित हो कर सज संवर कर सूट बूट पहन कर गंगा के पास आता है. तभी चारों तरफ से पुलिस उसे घेर लेती है. पुलिस बल्लू का एनकाउंटर करना चाहती है लेकिन गंगा बल्लू की ढाल बन जाती है और पुलिस को फायरिंग करने से रोकने को कहती है. इसी बीच बल्लू पुलिस से बच कर निकल भागने में कामयाब हो जाता है. जल्दी ही इंस्पेक्टर राम भी गंगा के पास पहुँच जाता है. एक मुजरिम को भगाने के जुर्म में गंगा को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है. राम बल्लू को गिरफ्तार करने के लिए सघन छापामारी करता है. राम के साथ बल्लू की माँ आरती भी रहती है. आरती एक चर्च में पहुँचती है जहाँ बल्लू छिपा हुया था. बल्लू उसे काफी डांटता है कि वो यहाँ क्यों आई है, लेकिन माँ की ममता की मारी आरती अपने बेटे बल्लू को समझाती है कि वो जुर्म की दुनिया छोड़ दे और राम के पास आ जाए, क्यों कि राम ने उसे कम से कम सजा देने की बात कही है.
बल्लू और आरती अभी बात ही कर रहे थे कि राम वहाँ आ पहुंचता है और बल्लू को पकड़ने के लिए हाथापाई करने लगता है. हाथापाई के दौरान ही बल्लू राम के पर्स में गंगा की तस्वीर देखता है और समझ जाता है कि इसी राम से गंगा प्रेम करती थी. तभी बल्लू राम के सर पर डंडा से प्रहार कर बेहोश कर देता है और वहां से फरार होकर महंत रोशिदा के पास पहुँच जाता है. पहले तो रोशिदा बल्लू को विदेश भगाने की बात करता है, लेकिन बल्लू की जिद है कि वो अपनी माँ को भी अपने साथ ले जाएगा. तब रोशिदा बल्लू और उसकी माँ दोनों को मारने की साजिश करता है. बल्लू जब एक शिप पर रहता है तो तो उस शिप को डुबोने की कोशिश की जाती है लेकिन बल्लू किसी तरह वहां से बच निकलता है.और वो महंत से बदला लेने उसके अड्डे पर पहुँचता है. उधर महंत भी भारत छोड़ कर जाने वाला था, तभी राम महंत के यहाँ छापेमारी कर देता है. इस प्रकार महंत राम और बल्लू से घिर जाता है. तभी हाथापाई में राम महंत को जान से मार देता है. बल्लू एक बार फिर फरार हो जाता है और वो महंत के पद पर बैठ कर पुरे गैंग का सरदार बन जाता है.
तभी बल्लू की दोस्त सोफिया (रमैया कृष्णा) बल्लू को बताती है कि गंगा पर कई तरह के संगीन इल्जाम लगाए जा रहे हैं कि उसने बल्लू की ना सिर्फ मदद की बल्कि उसके साथ नाजायज सम्बन्ध भी बनाए. आखिर बल्लू के अन्दर का इंसान जाग उठा और वो गंगा की बेगुनाही साबित करने के लिए अदालत आ गया जहां ना उसने गंगा को निर्दोष बताया बल्कि ये भी कहा कि गंगा एकदम पवित्र है. इसके बाद उसने खुद को कानून के हवाले कर दिया.
इसके बाद गंगा सभी आरोपों से मुक्त हो गयी और राम उसे अपना लेता है. आरती को भी अपना बेटा बल्लू को इंसान बनता देख काफी ख़ुशी मिलती है.
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