Wednesday, 4 April 2018

पद्मावत / पद्मावती (Padmaavat) 2018 की कहानी

  • फिल्म पद्मावत के रिलीज होने की तारीख - 25 जनवरी, 2018
  • फिल्म पद्मावत के निर्माता - संजय लीला भंसाली, सुधांशु वत्स, अजित अंधारे 
  • फिल्म पद्मावत के निर्देशक - संजय लीला भंसाली -
  • फिल्म पद्मावत के कलाकार - दीपिका पादुकोने, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह आदि

फिल्म पद्मावत की कहानी - 
यह फिल्म भारत के तेरहवीं सदी में लिखे गए महाकाव्य पद्मावत पर पर आधारित है. इस कहानी की वास्तविकता संदिग्ध है. फिल्म में दो अलग अलग कहानी एक साथ चलते हैं. पहली कहानी है दिल्ली सल्तनत की. जहाँ १३वीं सदी में अफगानिस्तान में, दिल्ली के सिंहासन को जब्त करने के लिए खिलजी वंश के जलालुद्दीन खिलजी (रजा मुराद) उत्सुक है। वो उसी उधेड़बुन में हैं, तभी  उसका उद्दंड भतीजा अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह) एक दिन उसे उपहार स्वरुप एक शुतुरमुर्ग देता है, और खुद उपहार स्वरूप उसकी बेटी, मेहरुनिसा (अदिति राव हैदरी) से निकाह करने की इच्छा जता देता है. मेहुरनिसा भी मन ही मन अलाउद्दीन को चाहती है, ये देख कर जलालुद्दीन उनदोनो ने निकाह के लिए राज़ी हो जाता है। अलाउद्दीन अपनी शादी की रात ही वह दूसरी महिला से व्यभिचार करता है और रंगे हाथों पकड़े जाने पर जलालुद्दीन के एक दरबारी को मार देता है।
दूसरी कहानी है सिंहल द्वीप (श्रीलंका) की, जहाँ मेवाड़ के राजपूत शासक महाराज रतन सिंह (शहीद कपूर) अपनी पत्नी नागमती (अनुप्रिया गोयनका) के लिए दुर्लभ मोती हासिल करने के लिए आये हुए हैं। इस यात्रा के दौरान सिंहल राजकुमारी पद्मावती (दीपिका पदुकोण) अनजाने में एक हिरण का शिकार करते समय रतन सिंह को घायल कर देती है। रतन सिंह को इलाज के लिए महल लाया जाता है, जहाँ पता चलता कि वो मवाद के राजा है. पद्मावती रतन सिंह का काफी ख्याल रखती है. इसी दरम्यान दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं, और रतन सिंह पद्मावती से ब्याह कर लेते हैं ।
इधर दिल्ली में , जलालुद्दीन दिल्ली के सिंहासन पर कब्ज़ा कर लेता है, और अलाउद्दीन को कारा सूबे का अधिकारी बना देता है। तभी दिल्ली पर मंगोलों का आक्रमण होता है, जिससे निपटने के लिए जलालुद्दीन ने अपने भतीजे अलाउद्दीन को लड़ाई के लिए भेजता है. अलाउद्दीन मंगोल आक्रमणकारियों से  लड़ने जाता है, परन्तु साथ साथ वह देवगिरी पर भी आक्रमण कर देता है। देवगिरी राज्य पर कब्ज़ा कर लेने की अलाउद्दीन अपार संपत्ति हासिल करता है लेकिन वो सम्पति अपने पास रख लेता है. जलाउद्दीन को अपने भतीजे अलाउद्दीन की महत्वाकांक्षाओं का अपता जब जलालुद्दीन को चलता है, तो वह उससे मिलने कारा के लिए निकल जाता है। अलाउद्दीन देवगिरी की राजकुमारी का अपहरण कर लेता है, और उसे अपने हरम में रख लेता है। जलालुद्दीन कारा पहुंचकर अलाउद्दीन को मलिक कफूर नामक एक गुलाम उपहार स्वरुप देता है, परन्तु अलाउद्दीन ने धोखे से अपने चाचा जलालुद्दीन और उसके पहरेदारों की हत्या कर खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर देता है।
इधर पद्मावती रतन सिंह के साथ मेवाड़ आ जाती हैं, लेकिन रतन की पहली पत्नी पद्मावती से ईर्ष्या करने लगती है। मेवाड़ के राजपुरोहित राघव चेतन पद्मावती के रूप और बुद्धिमता को देख कर चकित रह जाता है. रतन और पद्मावती जब एकांत में अंतरंग हो रहे होते हैं तो उन्दोनो को अहसास होता है कि कोई उन्दोनो को चुपके से देख रहा है. तभी पद्मावती वहां पर एक वस्तु देखती है और उसे याद आता है कि ये तो राघव चेतन का है. राघव चेतन की इस नीच हरकत से रतन सिंह काफी क्रोधित होते हैं और उसी रात राघव चेतन को राज्य से निकल जाने की सजा देते हैं. चेतन आवेश में आकर दिल्ली दिल्ली चला जाता है, और पद्मावती की सुंदरता के बारे में खिलजी को सूचित करता है। अलाउद्दीन राजपूतों को दिल्ली आमंत्रित करता है, और उनकी अस्वीकृति के बारे में जानने के बाद चित्तौड़ पर हमला करने का आदेश दे देता है। चित्तौड़ पर कब्जा करने के लिए अलाउद्दीन छह माह तक किले के बाहर डेरा जमाये बैठा है, लेकिन किले की मजबूत सैन्य शक्ति के वजह से वो किले के अंदर दाखिल होने में नाकाम रहता है. कई असफल प्रयासों के बाद, होली के दिन खिलजी शांति का आह्वान करता है और रतन सिंह के पास दोस्ती का सन्देश भिजवाता है और साथ में ये भी सन्देश भिजवाता है  कि अब वो वापस दिल्ली जाने वाला है, दिल्ली जाने से पूर्व वो रतन सिंह के साथ एक दिन मित्र के तौर पर गुजारना चाहता है. रतन सिंह मान जाते है. अलाउद्दीन अकेले ही  मित्र के तौर पर चित्तौड़ में प्रवेश करता है, जहां उसकी मुलाकात रतन से होती है। दिन भर इधर उधर घुमने के बाद अलाउद्दीन शाम में  पद्मावती को देखने की बात कहता है, जिसे सुनकर वहां स्थित राजपूत क्रोधवश उसे धमकाकर भेज देते हैं। रतन सिंह कहता है कि यदि तुम हमारे मेहमान नहीं होते तो तुम्हे हम अभी ही मार देते. लेकिन पद्मावती कहती है कि यदि अलाउदीन उसे एक क्षण देखने के बाद बिना किसी रंजिश के यहाँ से वापस चला जायेगा तो वो उसके लिए तैयार है. और पद्मावती के आग्रह पर रतन सिंह उसे पद्मावती को क्षण भर के लिए देखने की अनुमति दे देता है। अलाउद्दीन को एक दर्पण पर पद्मावती की परछाई एक क्षण के लिए दिखाई जाती है और दर्पण को फिर से ढँक दिया जाता है. एक क्षणके लिए अलाउद्दीन पद्मावती को देख कर उसके रूप पर आसक्त हो जाता है. वह पद्मावती को पाने के लिए अत्याधिक व्याकुल हो उतावला हो जाता है.
अलाउद्दीन रतन सिंह को अपने मेहमाननवाजी दिखाने के बहाने अपने शिविर में अकेले बुलाकर कैदी बना कर दिल्ली ले आता है. जब रतन सिंह के सैनिक रतन सिंह को खोजते हुए अलाउद्दीन के शिविर में जाते हैं तो वहां कोई नहीं मिलता है तभी राघव चेतन वहां प्रकट होता है और रतन सिंह के सेनापति को कहता है कि यदि रतन सिंह को वापस पाना है तो पद्मावती को अलाउदीन के पास दिल्ली भेजना होगा. रानी नागमती द्वारा जोर देने पर, पद्मावती खिलजी से मिलने के लिए दिल्ली जाने को सहमत हो जाती है। वह अपने साथ 800 राजपूत सैनिकों को अपनी दासी के वेष में लेकर दिल्ली जाने का निर्णय करती है। 
इस बीच अलाउद्दीन का भतीजा अलाउद्दीन की हत्या करने का प्रयास करता है, जिसमें अलाउद्दीन गंभीर रूप से घायल हो जाता है। जब उसका भतीजा अलाउद्दीन को मरणासन्न स्थिति में मान कर उसके पास जाता है और खुद ही खुलासा कर देता है कि जिस तरह तुमने अपने चचा को मार कर सुलतान की गद्दी हासिल किया है उसी तरह मैं भी अपने चचा यानी तुम्हे मार कर सुलतान बन जाऊंगा. अलाउदीन उसकी बात सुनते ही आँखे खोल देता है और अपने भतीजे को पकड क्र उसी वक़्त उसका गला घोंट कर उसे मार देता है. लेकिन अलाउद्दीन गंभीर जख्म के कारण काफी कमजोर हो जाता है.तभी उसे खबर मिलती है कि रानी पद्मावती उससे मिलने आने वाली है. अलाउद्दीन ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो कर अपने दरबार में अकेला बैठ कर रानी की प्रतीक्षा कर रहा था. लेकिन रानी पद्मावती अलाउदीन की बीबी मेहरूननिसा के पास जाती है और वो रतन सिंह को कैद से मुक्ति के लिए कहती है. मेहरूननिसा अपने शौहर से काफी नाराज रहती है क्यों कि उसने उसके पिता जलालुद्दीन और भाई का कत्ल कर दिया था, इसलिए वो अलाउद्दीन को सबक सिखाने की गरज से पद्मावती की सहायता करने का फैसला करती है और पद्मावती को रतन सिंह के पास कारागाह में ले जाती है. पद्मावती के साथ आये सैनिकों ने कारागाह में मौजूद सिपाहियों को मार कर रतन सिंह को आजाद करवाते हैं. रतन सिंह कारागाह से आजाद होने के बाद अलाउद्दीन के पास पहुँच जाता है, अलाउद्दीन घायल होने के कारण कमजोर सा पडा हुया था, इसलिए रतन सिंह ने कमजोर प्रतिद्वंदी पर वार नहीं करने का सिद्धांत कर कर अलाउद्दीन को चेतावनी देते हुए वहां से निकल जाता है. रानी पद्मावती और राजा रतन सिंह को उनके सेनापति बादल और गोरा ने दिल्ली से बाहर निकलने वाले एक सुरंग में प्रवेश करवा कर खुद उनदोनो ने सुरंग के द्वार पर मोर्चा संभाल लिया. अलाउद्दीन के कई सैनिक उस सुरंग में प्रवेश करने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन बादल और गोरा के बहादुरी के आगे किसी की ना चली. जबतक रतन सिंह सपत्निक सुरंग से बाहर नहीं निकल गए तब तक बादल और गोरा अलाउद्दीन के सैनिकों से लड़ते रहे, किन्तु अंत में उन दोनों को सैनिकों ने परास्त कर उन दोनों की ह्त्या कर दी. उन दोनों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर राजा और रानी की रक्षा की. 
रानी पद्मावती और राजा रतन सिंह के इस तरह निकल जाने पर अलाउद्दीन काफी क्रोधित हुआ, और उसने अपनी बीबी मेहरूनिसा को कैद करवा लिया. और खुद बदले की आग में जल कर चित्तौड़ पर हमला करने का आदेश दिया. वह और चित्तौड़ पर चढ़ाई करने के लिए दोबारा निकल पड़ता है।  जब रतन सिंह को अलाउदीन के आक्रमण करने की योजना का पता चलता है तो वो अपने आसपास के कई राजपूत राजाओं के पास सहायता का सन्देश भिजवाता है, लेकिन अलाउद्दीन के भी से कोई भी राजा रतन सिंह की मदद को तैयार नहीं होता है. इस बार अलाउदीन अपने साथ कई तोपनुमा हथिआर भी साथ लाया है जो जलते हुए बड़े बड़े पत्थर को किले के अंदर फेंकने में सक्षम है. इस हथियार से रतन सिंह के कई सैनिक मारे जाते हैं. रतन सिंह खुद ही अलाउद्दीन से युद्ध करने का फैसला लेता है, हालांकि उसे पता है कि इस युद्ध में उसका अंत तय है लेकिन फिर भी वो बहादुरी के साथ निकलता है. निकलते वक़्त उसकी रानी पद्मावती अपने पति से अनुमति लेती है कि यदि आप नहीं लौट सके तो मुझे जौहर करने का अधिकार दे दे. राजा रतन सिंह मुस्कुरा कर महल से बाहर रणभूमि की तरफ चले जाते है.  युद्धक्षेत्र में अलाउदीन  और रतन के बीच द्वंद्वयुद्ध होता है। अलाउद्दीन लगभग रतन द्वारा पराजित हो ही चुका होता है पर मलिक कफूर की अगुवाई में खिलजी की सेना रतन सिंह पर बाणवर्षा कर उसे मार देती है। ज्यों ही इसकी खबर राजमहल में पहुँचती है, रानी पद्मावती रोने धोने के बजाय जौहर व्रत करने का फैसला लेती है, और उनके साथ कई अन्य राजपूत स्त्री भी जौहर की तैयारी शुरू कर देती है. राजपूत सैनिक खिलजी सेना को चितौड़ के किले में प्रवेश करने की पूरी कोशिश कर रहे होते हैं, लेकिन खिलजी की विशाल सेना के सामने चितौड़ के बचे खुचे सैनिक कितने देर टिकते? खिलाजी सेना राजपूतों को पराजित कर चित्तौड़ में प्रवेश करने में तो सफल हो जाती है, लेकिन तब तक पद्मावती अन्य राजपूत महिलाओं के साथ जौहर कर चुकी होती हैं।

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