Sunday, 14 January 2018

बाजीराव मस्तानी (Bajirao Mastani) 2015

फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' एक ऐतिहासिक कथा पर आधारित फिल्म है. यह फिल्म 18 दिस्मबर 2015 के दिन रिलीज हुई थी. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल रही. 
निर्देशक - संजय लीला भंसाली 
कलाकार - 
रणवीर सिंह (मराठा साम्राज्य का पेशवा  बाजीराव)
प्रियंका चोपड़ा (बाजीराव की पहली पत्नी काशीबाई)
दीपिका पादुकोण (बाजीराव की दूसरी पत्नी मस्तानी)
तन्वी आज़मी (बाजीराव की माँ राधाबाई)


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कहानी - फिल्म की कहानी शुरु होती है जब मराठा साम्राज्य के पेशवा बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद नए पेशवा के रूप में बाजीराव की नियुक्ति पेशवा के पद पर होती है. कुछ समय बाद बाजीराव की शादी काशीबाई नाम की कन्या से होती है. बाजीराव एक बेहद कुशल योद्धा के रूप में अपने आप को स्थापित करते हैं और मराठा साम्राज्य का विकास दिल्ली तक कर देते हैं. उनकी बहादुरी की चर्चा सुन कर बुंदेलखंड राज्य की तरफ से मस्तानी आती है और बुंदेलखंड पर दुश्मनों के हमले से बचाव के लिए बाजीराव की सहायता मांगती है. बाजीराव उसकी मदद करने बुंदेलखंड जाते हैं और बुंदेलखंड के दुश्मनों को मार भगाते हैं. इसी बीच बाजीराव का दिल मस्तानी पर आ जाता है. जब वो वापस पुणे लौटते हैं हैं अपनी निशानी के रूप में अपनी कटार मस्तानी को सौंप देते हैं. 
बुंदेलखंड के रिवाजों के मुताबिक़ मस्तानी उस कटार के साथ विवाह कर के खुद को बाजीराव को पत्नी घोषित कर देती है. कुछ समय बाद वो पुणे आकर सबको अपने और बाजीराव के प्रेम की बात बताती है. बाजीराव के परिवार वाले और राजदरबार के मंत्री लोग इस प्रेम का विरोध करते हैं क्यों कि मस्तानी एक मुस्लिम स्त्री थी और पेशवा ब्रह्मण थे. लेकिन तमाम विरोधों के बावजूद बाजीराव मस्तानी को अपनी दूसरी पत्नी का दर्जा देता है और उसे पुणे के एक मकान में रख देता है. हालांकि मस्तानी का कई लोग विरोध करते हैं लेकिन बाजीराव उसे दिल से प्यार करता है, जिसके वजह से कई लोग खुल कर पेशवा का विरोध नहीं कर पाते हैं.  समय गुजरता है. बाजीराव और मस्तानी का एक पुत्र होता है. बाजीराव अपने पुत्र का नाम कृष्णा राव रखना चाहते हैं लेकिन उसके मंत्री लोग धर्म और समाज का भय दिखा कर बाजीराव को ऐसा करने से रोकते हैं. बाजीराव नाराज हो कर अपने पुत्र का नाम शमशेर खान रख देता है. और कहता है कि शमशेर खान को भी वही हक़ और सुविधा मिलेगा जो मेरे दुसरे पुत्रों को मिल रहा है. 
कुछ दिन के बाद बाजीराव मस्तानी को अपने महल में ले आता है और उसे एक स्पेशल महल दे देता है जिसे वो नाम देता है मस्तानी महल. बाजीराव की प्रथम पत्नी काशीबाई अपने पति की इच्छा को देखते हुए ना चाहते हुए भी मस्तानी का स्वागत करती है, और उसे उचित मान सम्मान के साथ उसके महल में ले जाती है. 
कुछ दिन के बाद बाजीराव का पुत्र नाना साहब वहां आता है. उसे मस्तानी बिलकुल पसंद नहीं है. 
लेकिन मंत्री कृष्णभट्ट को यह नागावार लगता है, और वो मस्तानी को उसके ही महल में मारने की साजिश रचता है. लेकिन इस साजिश की खबर काशीबाई को लग जाती है और वो बाजीराव को इसके बारे में बता देती है. बाजीराव मस्तानी के महल जा कर मस्तानी की रक्षा करता है. और मंत्री कृष्णभट्ट को गिरफ्तार कर मारना चाहता है. लेकिन बाजीराव की माँ बीच में आ कर कृष्णभट्ट की प्राणों की रक्षा करती है. 
लेकिन बाजीराव इस घटना से इतना क्षुब्ध हो जाता है कि वो अपने परिवार से कहता है कि वो पेशवाई छोड़ सकता है लेकिन मस्तानी को नहीं. और ये कह कर अपनी पगड़ी को अपने सर से उतार कर सिंहासन पर रख देता है और चला जाता है. 
कुछ ही दिन के बाद हैदराबाद का निजाम मराठा साम्राज्य पर आक्रमण कर देता है. ऐसी हालत में मराठा साम्राज्य के मंत्री लोग बाजीराव को इसकी खबर देते हैं. पहले तो बाजीराव कोई भी युद्ध लड़ने से साफ़ इनकार कर देता है और कहता है कि अब मैं ना पेशवा हूँ ना सेनापति. लेकिन मराठा साम्राज्य की इज्जत की दुहाई दे कर मंत्री लोग बाजीराव को युद्ध के लिए मना ही देते हैं. बाजीराव युद्ध करने को निकल पड़ते हैं. 
इधर बाजीराव को पुणे से अनुपस्थित होते ही उनकी मां ने नाना साहब को कह कर मस्तानी और उसके बेटे को गिरफ्तार करवा देती है. 
युद्ध भूमि में जब बाजीराव को मस्तानी की गिरफ्तारी की खबर मिलती है तो उसे अत्याधिक क्रोध आता है. इसी क्रोधावस्था में वो निजाम पर आक्रमण कर देता है. वो इस युद्ध में घायल हो जाता है. लेकिन उसकी सेना युद्ध जीत जाती है. युद्ध में घायल होने और मस्तानी के गिरफ्तार होने के सदमे के कारण बाजीराव वहीँ पर गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते है. उन्हें वापस पुणे ले जाना भी संभव नहीं था. बाजीराव की चिंताजनक हालत देख कर मंत्रीगण बाजीराव की माँ और काशीबाई को वहां बुलवाते हैं. जब काशीबाई आती है तब बाजीराव को लगता है कि मस्तानी आई है. बाजीराव की मस्तानी के प्रति इतना प्रेम देख कर काशीबाई ने पुणे में संदेशा भिजवाया कि मस्तानी को रिहा कर उसे सम्मानपूर्वक यहाँ भेजा जाय. लेकिन बाजीराव के पुत्र नाना साहब ने वो संदेशा को जला दिया.और मस्तानी को रिहा नहीं किया. 
ऐसा होते ही बाजीराव की हालत और भी खराब हो जाती है, और एक शाम वो नदी में जा कर प्राण त्याग देते हैं. उधर उसी वक़्त मस्तानी भी कारागार में अपना दम तोड़ देती है.
इस प्रकार फिल्म समाप्त हो जाती है. 

फिल्म की समीक्षा - फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' हर लिहाज से काफी उत्कृष्ट फिल्म है. निर्देशक भंसाली ने काफी सावधानी और भव्यता के साथ इस फिल्म को बनाया है. उस वक़्त के पहनावे से ले कर रहन सहन , तौर तरीके को फिल्माने में भी काफी चौकसी बरती गयी है. 
अभिनय के लिहाज से रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा ने काफी बढ़िया अभिनय किया है. रणवीर सिंह की ये सबसे बेहतरीन अभिनय वाली फिल्म में से है.

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