Saturday, 15 December 2018

Satyamev Jayate (सत्यमेव जयते), 2018 की कहानी


निर्देशक - मिलाप मिलन जावेरी
कलाकार - मनोज वाजपेयी, जॉन अब्राहम, मनीष चौधरी, चेतन पंडित आदि



फिल्म की कहानी -

कई साल पहले मुम्बई में एक पुलिस इंस्पेक्टर हुआ करते थे  जिनका नाम था शिव राठौर (चेतन पंडित)। शिव राठौर एक बहुत ईमानदार पुलिस अफसर थे। उसके दो छोटे छोटे बेटे थे शिवांश और वीर। शिव राठौर अपने दोनों बेटों को भी ईमानदारी की पाठ पढ़ाते रहते थे। शिव राठौर एक स्वतंत्रता दिवस के दिन अपने दोनों बेटों को देशभक्ति की पाठ सिखा रहे थे तभी उनके घर पर पुलिस की रेड पड़ जाती है, और ये रेड उनके ही अजीज मित्र पुलिस इन्स्पेक्टर मनीष शुक्ला (मनीष चौधरी) के नेतृत्व में होती है. छापेमारी के दौरान शिव राठौर के  घर से ड्रग्स के पैकेट निकलते हैं। घर में ड्रग्स रखने के आरोप में शिव राठौर को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसकी नौकरी चली जाती है. शिव राठौर जब वापस घर लौटता है तब उसका बड़ा बेटा शिवांश को लगता है कि पापा ने सचमुच का अपराध किया है, लेकिन उसका छोटा बेटा वीर को अपने पापा पर लगे आरोप पर भरोसा नहीं होता है. शिव राठौर अपने उपर लगे आरोप को सहन नहीं कर पाए और तिरंगे के सामने  खुद को आग से जला कर मार डालते हैं। इसका गहरा असर छोटे बेटे वीर पर पड़ता है। 
आज कई साल बाद शिव राठौर का बड़ा बेटा शिवांश पुलिस अफसर बनता है (मनोज वाजपेयी) जबकि छोटा बेटा वीर (जॉन अब्राहम) एक पेंटर बनता है लेकिन वो अपने पिता को फंसाने वाले मुजरिम को सजा देने की कसम खाता है, और साथ ही साथ पुलिस विभाग के भ्रष्ट अफसर को मारने की भी सौगंध खाता है। वीर एक गुमनाम किलर का भेष बना कर मुम्बई के भ्रष्ट पुलिस को जला कर मारने का अभियान चलाता है। शिवांश उस गुमनाम कातिल को पकड़ने का संकल्प लेता है जो पुलिस की बेरहमी से हत्याएं कर रहा है. आज जो पुलिस कमिश्नर है वो वही मनीष शुक्ला हैं जो शिवांश के पिता शिव राठौर के मित्र हुआ करते थे और जिसने शिव राठौर के यहाँ छापा मारा था. चूँकि शिवांश को वो उसके बचपन से जानते हैं इसलिए शिवांश को वो काफी स्नेह करते हैं.  
एक दिन शिवांश वीर को अपने साथ गाड़ी में ले जाता है। रास्ते में शिवांश एक अस्पताल के पास रुकता है और कहता है कि दस मिनट में वापस आ रहा हूँ. शिवांश अपना मोबाइल फोन गाड़ी में ही भूल जाता है. वीर वह  मोबाइल ले कर शिवांश के पीछे पीछे अस्पातल के अन्दर तक चला जाता है और अस्पताल के अन्दर जा कर वीर देखता है कि वहां पुलिस इंस्पेक्टर भोंसले भर्ती है जिसे उसने (वीर ने) जला कर मारने की कोशिश की थी. लेकिन वो इंस्पेक्टर भोंसले किसी तरह बच गया है. शिवांश बताता है कि भोंसले बच गया है लेकिन अभी बेहोश है, लेकिन होश में आते ही वो सब कुछ बता देगा. ये सुन कर वीर काफी परेशान हो जाता है. वहां से वापस आते समय वीर शिवांश को नीचे भेज देता है और खुद पीछे से जा कर उस पुलिस अफसर भोंसले को जला कर मार देता है। और वो खुद को घायल कर देता है और शिवांश को कहता है कि उसी गुमनाम किलर ने उस पर हमला किया है। शिवांश समझ जाता है कि किलर बहुत शातिर है और वो हर हाल में भ्रष्ट पुलिस अफसरों को मार कर रहेगा।
शिवांश सभी भ्रष्ट पुलिस अफसर को एक रिजॉर्ट में छिपा देता है। ताकि किलर को भ्रष्ट पुलिस वाले मिले ही नहीं। लेकिन थोड़ी देर के बाद शिवांश को पता चलता है कि उस रिजॉर्ट को जला दिया गया है।  और जो पुलिस अफसर उस वक़्त रिजोर्ट में थे वो सब मारे गए. शिवांश CCTV कैमरा देखता है तो पाता है कि जो वहां अफसर थे, उनमे से एक ने जैसे ही गैस स्टोव ऑन किया वैसे ही वहां विस्फोट हो गया जिसके वजह से पूरा रिजोर्ट जल गया। शिवांश काफी परेशान हो जाता है। तब उसे वीर फोन कर के बताता है कि एक अफसर को उसने अपना विभीषण बना लिया था और उसी के जरिये उसने उस रिजॉर्ट को जला दिया। शिवांश उसे चैलेन्ज देता है कि चाहे कातिल कितना भी शातिर हो मेरे हाथ से वो बचेगा नहीं. शिवांश सभी भ्रष्ट पुलिस अफसर को 2 अंगरक्षक दे देता है.
एक दिन वीर एक रेस्टुरेंट में बैठा था तभी वहां एक एक पुलिस अफसर आता है जो वहां के मालिक की बेटी के साथ दुर्व्यवहार करता है। यह देख वीर बौखला जाता है। और बाहर निकल कर एक मुहर्रम जुलुस के बीच उसकी सरेआम हत्या कर देता है। उधर उस अफसर के अंगरक्षकों ने शिवांश को इसकी सुचना देता है और शिवांश फ़ौरन वहां चला आता है. वो कातिल की तलाश में एक ब्रिज पर पहुंचता है. तभी वीर उसके पीछे आकर उसके पीठ पर पिस्तौल सटा देता है। लेकिन शिवांश वीर को बताता है कि उसे सारा राज पता चल चूका है। शिवांश वीर को कहता है कि कानून के सामने खुद को समर्पण कर दो लेकिन वीर वहां से ये कह कर भाग जाता है कि उसे अभी एक और काम करना है।
शिवांश पुलिस कमिश्नर के पास जा कर सारी बात बता रहा होता है, तभी वहां वीर का वीडियो कॉल आता है जिसमे वो कमिश्नर की बेटी को किडनैप कर लिया है. वीर शिवांश और कमिश्नर को उस स्थान पर निहत्थे आने को कहता है जहाँ उसके पिता इंस्पेक्टर शिव राठौर ने खुद को आग लगा ली थी। शिवांश और कमिश्नर मनीष शुक्ला दोनों एक जीप पर बैठ कर वीर के बताये हुए जगह पर जाते हैं , वहां कमिशनर की बेटी वीर के कब्जे में है. वीर उसकी बेटी को अपने कब्जे में लेकर कमिश्नर मनीष शुक्ला को खुद पर किरोसिन तेल छिड़कने को कहता है। मनीष शुक्ला ऐसा ही करता है. उसके बाद वीर माचिस जला कर मनीष शुक्ला के सामने ले कर जाता है और उससे वो राज उगलवा लेता है कि मनीष शुक्ला ने ही उसके पिता शिव राठौर को ड्रग्स के मामले में गलत तरीके से फंसाया था। कमिश्नर मनीष शुक्ला का ये राज जान कर शिवांश को भी गहरा सदमा पहुँचता है। कमिश्नर के मुंह से सच उगलवा कर वीर खुद को शिवांश के आगे समर्पित कर देता है। अपना पर्दाफाश होते देख कमिश्नर बहुत क्रोधित होता है और वो भ्रष्ट पुलिस अफसरों को वहां बुला कर दोनों भाइयों पर हमला करवा देता है। लेकिन वीर किसी तरह इस हमले से खुद को और अपने भाई को बचाता है, और सभी को मारते हुए अंत में मनीष शुक्ला को जला कर मार देता है। वीर को रोकने की कोशिश में शिवांश वीर को गोली मार देता है। वीर वही पर अपने बड़े भाई शिवांश की बाहों में दम तोड़ देता है। और इसी के साथ फिल्म समाप्त हो जाती है.

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