Monday, 25 July 2016

सुल्तान (Sultan) 2016


सलमान खान अभिनीत फ़िल्म 'सुल्तान' वर्ष 2016 की सबसे बड़ी हिट फ़िल्म साबित हुई। ईद के दिन (6 जुलाई 2016) रिलीज हुई फ़िल्म 'सुल्तान' बॉक्स ऑफिस पर सफलता के कई बड़े रिकॉर्ड कायम किये।

मुख्य रूप से कुश्ती पर आधारित इस फ़िल्म ने पुरे भारत में धूम मचाई। लगभग 70 करोड़ की लागत से बनी इस फ़िल्म ने देश विदेश में शानदार कमाई करते हुए लगभग 560 करोड़ रूपये का बिजनेस किया।
निर्माता - आदित्य चोपड़ा

निर्देशक / लेखक - अली अब्बास जफर
संगीत निर्देशन - विशाल - शेखर

मुख्य कलाकार -
सलमान खान, अनुष्का शर्मा, रणदीप हुड्डा, अमित साध, परीक्षित साहनी, अनंत विधात शर्मा, कुमुद मिश्रा

कहानी -
आकाश (अमित साध) दिल्ली में WWF जैसा फाइट गेम 'प्रो टेक डाउन गेम' शुरू करना चाहता है। लेकिन दो बार इस गेम का आयोजन करने के बावजूद भारत में उतना लोकप्रिय नहीं हो पाता है जितनी इसके आयोजकों को इसकी उम्मीद थी। निराश हो चुके आकाश को उसके पिता (परीक्षित साहनी) उसे सलाह देते हैं कि यदि भारत में 'प्रो टेक डाउन' खेल को लोकप्रिय बनाना है तो इसमें भारतीय पहलवान को शामिल करना होगा। और विदेशी पहलवानों से टक्कर लेने के लिए वो सुल्तान अली खान (सलमान खान) को उपयुक्त पहलवान बताते हैं, जो वर्तमान में हरियाणा के छोटे से गांव में रहता है।
आकाश अपने पिता की बात मानते हुए सुल्तान की खोज में हरियाणा के गांव जाता है। वहां सुल्तान अपने घर में एकाकी जीवन गुजारते हुए जल निगम में क्लर्क की नौकरी कर अपने दिन काट रहा है। आकाश सुलतान को 'प्रो टेक डाउन' खेल में शामिल होने का ऑफर देता है लेकिन सुल्तान इस ऑफर को ठुकरा देता है। आकाश सुलतान के दोस्त गोविन्द (अनंत विधात शर्मा) के पास जाता है ताकि गोविन्द सुल्तान को किसी तरह राजी कर सके। लेकिन गोविन्द बताता है कि सुल्तान ने अब पहलवानी छोड़ दी है। आकाश जब इसका कारण पूछता है तो गोविन्द सुल्तान की 8 साल पुरानी कहानी बताता है।
8 साल पहले सुल्तान अपने गांव में केबल कनेक्शन का काम करता था।कटी  पतंग लूटना उसका शौक था।पतंग लूटने के क्रम में ही सुल्तान एक दिन आरफा (अनुष्का शर्मा) से टकरा गया और पहली ही नजर में उसे अपना दिल दे बैठा। जब सुलतान आरफा की जानकारी हासिल किया तो पता चला कि आरफा कुश्ती की राज्य स्तर की खिलाड़ी है और अच्छी खासी पढ़ी लिखी है, जबकि सुल्तान ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था। आरफा कुश्ती कोच बरकत हुसैन (कुमुद मिश्रा) की एकलौती बेटी है। बरकत की हार्दिक इच्छा थी कि आरफा ओलम्पिक खेल में कुश्ती खेल में गोल्ड मैडल जीते। सुलतान आरफा को उसके बेहतरीन खेल के लिए बधाई देता है और आरफा के लिए प्रेम का इजहार करते हुए उससे निकाह की बात कहता है लेकिन आरफा कहती है कि उसके जीवन का लक्ष्य ओलम्पिक मैडल जीतना है इसलिए निकाह की बात अभी नहीं सोच सकती। लेकिन वो सुल्तान की दोस्त बनना स्वीकार कर लेती है। सुल्तान भी आरफा की नजदीकी पाने के लिए आरफा के पिता बरकत की कुश्ती का अखाड़ा में कुश्ती की ट्रेनिंग लेने लगता है।एक दिन सुल्तान आरफा को अपने दोस्तों से मिलाने एक रेस्टुरेंट में ले कर जाता है जहाँ गोविन्द आरफा को भाभी कह देता है। इससे आरफा बेहद नाराज होती है। वो सुल्तान को कहती है कि किस हैसियत से वो अपने दोस्तों को मुझे अपनी होने वाली बीबी कहता है जबकि उसका और सुल्तान का कोई मेल नहीं है। इस प्रकार काफी भला बुरा कह कर आरफा वहां से चली जाती है। इससे सुल्तान का दिल टूट जाता है।
अब सुल्तान कुश्ती का खिलाड़ी बनना चाहता है। और वो कुश्ती का राज्य स्तरीय खेल जीत कर आरफा की नजर में ऊंचा सम्मान पाना चाहता है। इसी जूनून में वो रात दिन एक कर देता है। फिर वो बरकत हुसैन के अखाड़े के पहलवानों को चित कर के बरकत की टीम का हिस्सा बनता है और राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में शामिल हो कर गोल्ड मेडल जीत लेता है। वहीँ पर आरफा सुल्तान को निकाह का ऑफर देती है और सुलतान उस ऑफर को स्वीकार कर आरफा के साथ निकाह कर लेता है। 
सुलतान और आरफा दोनों धीरे धीरे कुश्ती के कई सारे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्री पुरूस्कार जीतते हैं। कुछ ही महीनों में ओलम्पिक खेल के लिए दोनों का चयन होता है तभी पता चलता है कि आरफा गर्भवती हो गयी है। आरफा के पिता बरकत हुसैन चिंतित होता है कि जिस ओलम्पिक में शामिल होने का सपना उसने देखा था वो सपना अब टूट जाएगा। लेकिन आरफा कहती है कि सुल्तान की ख़ुशी ही उसके लिए ओलम्पिक गोल्ड मैडल है। और अब वो सुलतान को ओलम्पिक की तैयारी करवाएगी।
आरफा और बरकत मिलकर सुलतान की कुश्ती ट्रेनिंग में खूब सहायता करते हैं। सुलतान की मेहनत रंग लाती है और सुल्तान ओलम्पिक खेल में कुश्ती का गोल्ड मैडल ले कर ही वापस लौटता है। राज्य सरकार सुल्तान को सम्मान स्वरुप जल बोर्ड में नौकरी दे देती है। 
आरफा के गर्भवती होने के नौ महीने पुरे होने वाले थे और सुल्तान को तुर्की में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में जाना था। आरफा उसे जाने से मना करती है ताकि बच्चे के जन्म के समय वो रहे। लेकिन सुल्तान को कुश्ती का खेल जीत कर नाम कमाने की जिद थी इसलिए वो तुर्की चला जाता है। जब वो वहां कुश्ती लड़ रहा होता है तभी आरफा को लेबर पेन शुरू होता है। उसे अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसने बेटे को जन्म दिया। 
बेटे की जन्म की  खबर सुन कर सुल्तान ख़ुशी ख़ुशी अपने गांव के अस्पताल पहुँचता है, लेकिन उसे गहरा सदमा लगता है जब उसे पता चलता है कि उसका नवजात बेटा खून की कमी के कारण मर गया। बच्चे को कहीं खून नहीं मिल सका क्यों कि बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव था जो पुरे गांव में सिर्फ सुल्तान का ही था। आरफा अपने बेटे की मौत से इतनी टूट चुकी कि वो सुल्तान को अपनी जिंदगी से चले जाने को कहती है। बेटे की मौत से टूट चुका सुल्तान भी चुपचाप आरफा की जिंदगी से अलग हो जाता है और कुश्ती छोड़ कर जल बोर्ड में क्लर्क की नौकरी करते हुए साधारण जीवन जीने लगता है और गांव में ब्लड बैंक खुलवाने के लिए चन्दा जमा करता रहता है।
यही वजह है कि सुल्तान अब कुश्ती नहीं लड़ना चाहता है।
आकाश सुल्तान का बीता हुआ कल जानने के बाद सुल्तान से दोबारा मिलता है। वो सुल्तान को कहता है कि ब्लड बैंक चाहिए तो यूँ चन्दा इकठ्ठा करने से काम नहीं चलेगा बल्कि प्रो टेक डाउन खेल में शामिल हो कर अधिक पैसा कमाया जा सकता है।
सुल्तान को आकाश का ऑफर ठीक लगता है और वो ब्लड बैंक खोलने की गरज से नई दिल्ली चला जाता है। पहले तो सुलतान के अधेड़ उम्र व मोटे बदन को देख कर आकाश के बिजनेस पार्टनर बड़े ही नाराज होते हैं और सुल्तान को एक लूजर मानते हैं। लेकिन आकाश अपने साथियों को भरोसा दिलाता है कि सुल्तान ही वो पहलवान है जो प्रो टेक डाउन को भारत में प्रसिद्धि दिलवा सकता है। 
आकाश सुल्तान के लिए प्रायोजक बनने के लिए बड़ी मुश्किल से लोकल प्रेशर कुकर बनाने वाले एक छोटे व्यापारी को तैयार करता है।
फिर आकाश सुल्तान को लेकर प्रो टेक डाउन के ट्रेनर फतेह सिंह (रणदीप हुडा) के पास जाता है। पहले तो फ़तेह सिंह सुल्तान के उम्र और शरीर देख कर ट्रेनिंग देने से इनकार कर देता है। लेकिन आकाश के जिद के कारण वो अगली सुबह सुलतान को टेस्ट के लिए बुलाता है।
अगली सुबह सुल्तान फ़तेह सिंह के रिंग में उतरता है। 6 साल  से कुश्ती को छोड़ने के कारण पहले तो उसे सामने वाले प्रतिद्वंदी से लड़ने में परेशानी होती है, लेकिन जल्द ही उसे प्रतिद्वंदी की तकनीक पता चल जाती है और सुल्तान उसे पकड़ कर पटक देता है। फ़तेह सिंह सुल्तान से काफी प्रभावित होता है और प्रशिक्षण देने को राजी हो जाता है।
फ़तेह सिंह सुल्तान को कड़ा प्रशिक्षण देता है। जल्द ही सुल्तान सभी बाधाओं को पार कर  प्रो टेक डाउन खेल के लिए खुद को तैयार कर लेता है। 
प्रो टेक डाउन खेल की शुरुआत होती है। भारतीय पहलवान सुल्तान के इस खेल में शामिल होने की वजह से पुरे भारत में इस खेल की चर्चा हो जाती है। खेल के पहले ही दिन सुल्तान रिंग में विदेशी पहलवान से भिड़ता है। पहले राउंड में तो सुल्तान अपने प्रतिद्वंदी से काफी पीटता है। ब्रेक के दौरान गोविन्द सुलतान को ठंडे दिमाग से सोचने की सलाह देता है। सुल्तान ध्यान से अपने प्रतिद्वंदी की हरकतों को याद करता है और उसकी कमजोरियों को पकड़ता है। ब्रेक के बाद सुल्तान रिंग में उतरता है और सुल्तान अपने पुराने दांव को अपनाते हुए कुछ ही सेकेण्ड में प्रतिद्वंदी को चित कर देता है। सारे स्टेडियम में सुल्तान की धूम मच जाती है। टीवी पर लाइव देख रहे भारत की सभी जनता में भी सुल्तान के नाम का डंका बज जाता है। उसके बाद सुल्तान कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखता है और एक के बाद एक सभी नॉक आउट प्रतियोगिता जीतता चला जाता है।
सेमी फाइनल में उसका मुकाबला पहलवान टायरोंन वुडली जैसे खतरनाक खिलाड़ी से होता है, जिससे लड़ते हुए पहले राउंड में सुल्तान की पसलियां टूट जाती है। आकाश और गोविन्द सुल्तान को फाइट रोकने को कहता है लेकिन सुल्तान हार नहीं मानता है और दूसरे राउंड में सुल्तान टायरोंन को पटक देता है। लेकिन खुद भी अस्पताल पहुंच जाता है।
गोविन्द आरफा को सुल्तान के घायल होने की खबर देता है। आरफा को रहा नही जाता है और वो सुल्तान को देखने दिल्ली चली आती है। अस्पताल में डॉक्टर बताते हैं कि सुल्तान को अब फाइनल में इस खेल को नहीं खेलना है। 
आरफा सुल्तान के पास जाती है। दोनों के गिले शिकवे दूर हो जाते हैं। दोनों ही एक दूसरे को अभी भी दिल से चाहते हैं। आरफा सुल्तान को फाइनल मैच खेलने के लिए प्रोत्साहित करती है।
सुलतान अस्पताल से छुट्टी पा कर  फाइनल मुकाबला के लिए रिंग में उतरता है जहाँ उसका मुकाबला मार्कस के साथ है। पसलियों में चोट की वजह से पहले ही राउंड में सुल्तान बेहोश हो जाता है। बेहोशी के आलम में ही उसे अपने मृत बेटे का पालना नजर आता है। अचानक सुल्तान की बेहोशी टूटती है और वो फिर से खड़ा हो जाता है। फिर वो मार्कस को ऐसा पंच मारता है कि मार्कस जमीन पर गिर जाता है। सुल्तान इस मैच को जीत जाता है।
आरफा और सुल्तान फिर से एक साथ हो जाते हैं। गांव में ब्लड बैंक भी खुल जाता है। आरफा दोबारा माँ बनती है और एक बेटी को जन्म देती है। सुल्तान अब आरफा और अपनी बेटी के साथ अपने गांव में ही ख़ुशी ख़ुशी रहने लगता है। 

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