फ़िल्म 'मोहनजो दारो' भारतीय उपमहाद्वीप में 3000 BC में अस्तित्व में रहे हड़प्पा संस्कृति के परिवेश पर आधारित फ़िल्म है। यह फ़िल्म 12 अगस्त 2016 को रिलीज हुई थी। फ़िल्म के निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर और सुनीता गोवारिकर हैं। फ़िल्म को निर्देश किया है मशहूर फ़िल्म निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने। फ़िल्म में संगीत दिया है ए आर रहमान ने।
मुख्य कलाकार - ऋत्विक रोशन, पूजा हेगड़े, कबीर बेदी, नितीश भारद्वाज, शरद केलकर, अरुणोदय सिंह, मनीष चौधरी आदि।
फ़िल्म की कहानी - सरमन (ऋत्विक रोशन) आम्रि गाँव में अपने काका काकी के साथ रहता है। उसके काका दुर्जन ( नितीश भारद्वाज ) नील की खेती करते हैं। सरमन जिद करके नील बेचने स्वयं ही सिंधु नदी के तट पर अवस्थित मोहनजोदारो शहर जाता है।
वहां जाते ही उसकी नजर चानी (पूजा हेगड़े) पर पड़ती है और पहली नजर में ही उसे अपना दिल दे बैठता है। चानी मोहनजोदारो की राजपुरोहित (मनीष चौधरी) की बेटी है। चानी जब नवजात थी , तभी उसका विवाह मोहनजोदारो के शासक माहम (कबीर बेदी) के पुत्र मंजा (अरुणोदय सिंह) के साथ करवाने की बात तय हो चुकी थी।सरमन देखता है कि माहम और मुंज मोहनजोदारो के नागरिकों पर जुल्म ढाता है और अपनी इच्छानुसार नागरिकों पर करों का बोझ बढ़ाता रहता है। किन्तु वहां के नागरिक जुल्मी माहम के आतंक के डर से कुछ नहीं बोल पाते। सरमन उन नागरिकों को बताता है कि अन्याय का मुकाबला करना चाहिए।
इसकी खबर माहम को मिलती है और वो सरमन के बारे में पता लगाने बोलता है। सरमन और चानी की मेलजोल की खबर माहम को मिलती है और वो पुजारी को चानी व मंजा की शादी अविलम्ब करने को कहता है। पुरोहित की जान खतरे में देख चानी मुंजा के साथ करने को तैयार हो जाती है। लेकिन शादी के समय ही सरमन चानी के घर आ जाता है। और उसे शादी करने से रोकता है। तभी मुंजा वहां आ जाता है और सरमन को चानी के निकट देख आगबबूला हो जाता है। वो सरमन पर हमला कर देता है। दोनों के बीच हाथापाई होती है। लेकिन माहम के सैनिक सरमन को पकड़ लेते हैं। माहम सरमन को मौत की सजा सूना देता है लेकिन पुरोहित के कहने पर मुकाबला करने को कहता है। सरमन भी माहम के चुनौती को स्वीकार कर लेता है लेकिन साथ में ये शर्त भी रखता है कि यदि वो मुकाबला जीत जाएगा तो चानी और मुंजा का विवाह नहीं होगा। माहम सरमन की इस शर्त को स्वीकार कर लेता है। माहम के सैनिक सरमन को कैदखाने में डाल देते हैं। कैदखाने में पुरोहित सरमन से मिलता है और बताता है कि सरमन के पिता सुरजान (शरद केलकर) ही मोहनजोदारो के शासक थे। और माहम उसका सहयोगी था। माहम को सिंधु नदी में मिलने वाले स्वर्ण का लोभ इतना अधिक था कि वो सिंधु नदी पर बाँध बना कर पानी रोकना चाहता था ताकि स्वर्ण पानी के साथ बह ना जाय। सुरजान ने माहम के इस निर्णय के खिलाफ फैसला लिया क्यों कि सिंधु नदी पर बाँध बनाने से आसपास के गांवों में सुखा होने का डर था। माहम ने अपनी राह में रोड़ा बन रहे सुरजान को चोरी के झूठे आरोप में फंसा दिया और सजाएमौत दे दिया। सुरजान की पत्नी इसी सदमे में मर गयी। सुरजान का भाई दुर्जान नन्हे सरमन को लेकर सपत्नीक मोहनजोदारो से दूर चला गया।
सरमन को जब इस सच्चाई का पता चलता है तो वो मोहनजोदारो को माहम के आतंक से मुक्ति दिलाने का संकल्प लेता है।
अगले दिन सरमन का मुकाबला माहम के दो जल्लादों के साथ होता है। सरमन वीरतापूर्वक लड़ता है और दोनों जल्लादों को मार कर मुकाबला जीत जाता है। शर्त के मुताबिक़ चानी और मुंजा की शादी टूट जाती है।
माहम इस अपमान को सहन नहीं कर पाता है और मुंजा को आदेश देता है कि पुरोहित और चानी को मार दे। मुंजा मन्दिर जा कर पुरोहित की हत्या कर देता है। वो चानी को भी मारने ही वाला था कि तभी सरमन वहां आ जाता है और मुंजा को मार देता है।
जब मृत पुरोहित का अंतिम संस्कार चल रहा था तभी चानी लोगों को बता देती है कि सरमन मोहनजोदारो के पूर्व शासक सुरजान का बेटा है। लोगों ने सरमन को ही मोहनजोदारो का शासक बनाने का फैसला कर लिया और सरमन के नेतृत्व में महल पर कब्जा कर माहम को बन्दी बना लिया।
तभी घोर बारिश शुरू हो गयी और सिंधु नदी पर बना बाँध टूटने की कगार पर आ गया जिससे मोहनजोदारो नगर को डूबने का खतरा बढ़ गया। सरमन सभी नागरिकों को सिंधु नदी के दूसरी तरफ ले जाने में सफल होता है। ज्यों ही सभी नागरिक सुरक्षित जगह पर जाते हैं त्यों ही सिंधु नदी पर बना बाँध टूट जाता है और विशाल जलराशि पुरे मोहनजोदारो को बर्बाद कर डुबो देता है। मोहनजोदारो का दुष्ट शासक और बाँध का निर्माता माहम भी उस जलजले में डूब जाता है।
मोहनजोदारो सिंधु नदी में डूब गया। इसलिए सरमन अपने नागरिकों को लेकर गंगा नदी के तट पर चला जाता है ।
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